🌺परमार्थ निकेतन माँ गंगा के तट पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन
अध्यक्ष परमार्थ निकेतन, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूर्व शिक्षा मंत्री, भारत सरकार डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक जी, हार्वर्ड वल्र्ड रिकाॅड्र्स, लंदन श्री आशीष जायसवाल जी, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा डाॅ योगेन्द्रनाथ शर्मा, कुलपति हिमालयीय विश्वविद्यालय, देहरादून, प्रो जे पी पचैरी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया
📚पुस्तक विमोचन – शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण, नई शिक्षा नीति 2020 लेखक श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, डाॅ निशंक के वेद विश्व शान्ति के तहत महर्षि संस्थान के अध्यक्ष एवं हाॅर्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रो टोनी नाडर की पुस्तक ‘चेतना का एक अंतहीन महासागर’ का विमोचन, डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक पर आधारित एवं केन्द्रित ’शोध सरिता’ पत्रिका विशेषांक का विमोचन, डा निशंक का साहित्य सृजन मनन एवं मूल्यांकन – संपादक डा योगेन्द्रनाथ शर्मा अरूण, डाॅ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और नई शिक्षा नीति -2020 सम्पादक डाॅ योगेन्द्रनाथ शर्मा अरूण
🏅डाॅ निशंक को हाॅर्वर्ड वल्र्ड रिकाॅर्ड्स, लन्दन द्वारा ‘वल्र्ड रिकाॅड्र्स सम्मान’ और महर्षि यूरोपियन रिसर्च यूनिवर्सिटी द्वारा ‘उत्कृष्ट साहित्य सृजन हेतु मानद पीएचडी उपाधि से सम्मानित’ किया
✨साहित्य समाज की उन्नति और विकास की आधारशिला
🙏🏻स्वामी चिदानन्द सरस्वती
💥साहित्य संस्कृति का संरक्षक और भविष्य का पथ-प्रदर्शक
🙏🏻निशंक
16 अक्टूबर, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन माँ गंगा के तट पर डाॅ निशंक का रचना संसार अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की पावन उपस्थिति में श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का शुभारम्भ किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि समाज के नवनिर्माण में साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका है। निशंक जी के साहित्य में वास्तविक समाज का दर्शन होता है। हितेन सह इति सष्टिमूह तस्याभावः साहित्यम् अर्थात साहित्य का मूल तत्त्व सबका हितसाधन है। निशंक जी ने अपने मन में उठने वाले भावों को लेखनीबद्ध कर समाज को एक दिशा देने का अद्भुत कार्य किया है। समाज और साहित्य में विलक्षण संबंध होता है क्योंकि साहित्य की पारदर्शिता समाज के नवनिर्माण में सहायक होती है।
स्वामी जी ने कहा कि साहित्य समाज की उन्नति और विकास की आधारशिला की नींव रखता है। साहित्य के माध्यम से समाज की विविधता और लोकसंस्कृतियों का संरक्षण होता है। साहित्य समाज की ज्ञानवर्धकता के साथ ही सामाजिक संस्कारों का परिष्कार भी करता है। निशंक जी की रचनाएँ समाज में राष्ट्रीय भावना, हिमालय की संस्कृति, समाजसेवा के माध्यम से श्रेष्ठ मूल्यों को उजागर करने का कार्य करती हैं। साहित्य समाज के मूल्यों का निर्धारक है अतः उसके मूल तत्त्वों को संरक्षित करना जरूरी है तथा साहित्य जीवन के सभी पहलुओं को प्रकट करने वाले विचारों और भावों की सुंदर अभिव्यक्ति भी है।
श्री रमेश पोखरियाल निशंक जी ने कहा कि साहित्य की सार्थकता इसी में है कि उसमें मानवीय संवेदना के साथ सामाजिक अवयवों का भी उल्लेख किया गया हो। साहित्य संस्कृति का संरक्षक और भविष्य का पथ-प्रदर्शक है। हिमालय और माँ गंगा की गोद से सृजित साहित्य में मानव को श्रेष्ठ बनाने के साथ ही मानवीय एवं राष्ट्रीय हित समाहित है।
परमार्थ निकेतन माँ गंगा के तट पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन डाॅ निशंक का रचना संसार में सहभाग करते हेतु पधारे सभी वक्ताओं ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुये कहा कि गंगा की पवित्र और निर्मल धारा की तरह यहां पर पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य में ज्ञान की धारा भी प्रवाहित हो रही हैं यह तट वास्तव में ज्ञान, भक्ति, संस्कृति और संस्कारों के संगम का केन्द्र है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर सभी अतिथियों का अभिनन्दन किया। सभी ने परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया।