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ज़िन्दगी की जंग लड़ने के लिए खुद में साहस और ज्ञान विकसित करें :  उपराष्ट्रपति

Develop courage and wisdom in yourself to fight the battle of life: Vice President
Develop courage and wisdom in yourself to fight the battle of life: Vice President

–  पृथ्वी बहादुरों की होती है, आत्मा में ताकत रखने वालों की होती है, आलसी और अक्षम लोगों की नहीं, उपराष्ट्रपति ने ज़ोर दिया
– आरआईएमसी के पूर्व छात्र एक थिंक टैंक के रूप में कार्य करें और युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना का संचार करेंः  उपराष्ट्रपति
–  जो लोग चुनौती का सामना करने में जोखिम उठाते हैं, वही साहस, पहल और नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करते हैंः उपराष्ट्रपति
–  जीवन में विफलता से कभी न डरें, यह सफलता की ओर एक कदम है, उपराष्ट्रपति ने कहा
–  हमेशा राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दें, देश की सेवा गर्व के साथ करें, उपराष्ट्रपति ने बल दिया
देहरादून(आरएनएस)।  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज देहरादून स्थित राष्ट्रीय भारतीय सैन्य महाविद्यालय के कैडेट्स से आग्रह किया कि वे अपने संस्थान के आदर्श- बल विवेक को चरितार्थ करें और ताकत और ज्ञान विकसित करें ताकि वे जीवन की बड़ी जंग को लड़ सकें। उन्होंने कहा, ‘‘ताकत और विवेक एक मजबूत संयोजन बनाते हैं जो चुनौती का सामना करने पर अभेद्यता उत्पन्न करता है।’’
राष्ट्र के हित को सभी परिस्थितियों में सबसे ऊपर रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘देश की सेवा गर्व और निर्भीकता के साथ करें! भारत माता आपका इंतजार कर रही है। राष्ट्र का भविष्य आपके कंधों पर है। हमेशा राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दें। आपका आचरण अनुशासन, शिष्टाचार और सहानुभूति का उदाहरण होना चाहिए।’’
आरआईएमसी के कैडेट्स को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति नेआरआईएमसी के पूर्व छात्रों और समुदाय से आग्रह किया कि वे एक थिंक टैंक के रूप में कार्य करें और युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना का संचार करें तथा उन लोगों के खिलाफ़ कदम उठाएं जो ग्राउंड रियलिटी से अज्ञात हैं और भारत की अद्वितीय आर्थिक वृद्धि, विकास यात्रा और वैश्विक मंच पर उन्नति को नहीं मानते।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 10 दिसंबर 1962 कोआरआईएमसी कैडेट्स को दिए गए भाषण की याद दिलाते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने दोहराया, ‘‘पृथ्वी बहादुरों की होती है, आत्मा में ताकत रखने वालों की होती है, आलसी और अक्षम लोगों की नहीं। इस महान प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता की दुनिया में, हमें आत्म-नियंत्रण और बलिदान से जीवन जीना होगा। इन महान आदर्शों को जीवन में धारण करें।’’
कैडेट्स को कठिनाइयों के समय भी खड़ा रहने के लिए प्रेरित करते हुए, धनखड़ ने कहा, ‘‘मेरे प्रिय युवा कैडेट्स, आपकी व्यक्तिगत और पेशेवर यात्रा में, आप ऐसे क्षणों का सामना करेंगे जो आपको परखेंगे। ऐसे दिन आएंगे जब आपकी धैर्यता कम हो जाएगी और थकावट बढ़ेगी। आप सभी अपने-अपने संघर्षों का सामना करेंगे, लेकिन याद रखें कि जो लोग चुनौती का सामना करते हैं और विपरीत परिस्थितियों में जोखिम उठाते हैं, वे ही साहस, पहल और नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।’’
विफलता के भय को विकास का सबसे बड़ा हत्यारा बताते हुए, धनखड़ ने कैडेट्स से कहा ‘‘जीवन में कभी विफलता से न डरें, यह सफलता की ओर एक कदम है। डर की भावना आपकी प्रतिभा के उपयोग और आपके संभावनाओं की वास्तविकता में बाधा डालती है। हमेशा याद रखें, डर हमारे विकास की यात्रा का आवश्यक हिस्सा है।‘‘
चंद्रयान मिशन की सफलता की कहानी का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा, ‘‘ऐतिहासिक चंद्रयान मिशन को याद करें! चंद्रयान 2 आंशिक रूप से सफल हुआ लेकिन पूरी तरह से नहीं। कुछ के लिए यह विफलता थी और समझदार लोगों के लिए यह सफलता की ओर एक कदम था। और 23 अगस्त पिछले वर्ष को चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया, और भारत ने इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाला पहला राष्ट्र बन गया।’’
आरआईएमसी और सैनिक स्कूलों में लड़कियों की भर्ती की सराहना करते हुए, धनखड़ ने कहा कि ये कदम लिंग समानता और न्याय के लिए महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाते हैं। ‘‘हमारी महिलाएं लड़ाकू विमानों की पायलट हैं, वे अंतरिक्ष मिशनों की कमान संभाल रही हैं, और हर रुकावट को तोड़ रही हैं। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण निश्चित रूप से एक गेम चेंजर होगा’’, उपराष्ट्रपति ने कहा।
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि), राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज के कमांडेंट, कर्नल राहुल अग्रवाल, कैडेट्स, शिक्षकगण और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।