Home उत्तराखंड ग्रामीणों को मौन पालन से आजीविका संवर्धन के गुर सिखाए

ग्रामीणों को मौन पालन से आजीविका संवर्धन के गुर सिखाए

28.02.2022

गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान श्रीनगर के तत्वाधान में रुद्रप्रयाग जनपद के विकासखण्ड जखोली के बच्चवाड़ गांव में वैज्ञानिकों,प्रशक्षिकों,काश्तकारों और ग्रामीण महिलाओं ने मौन पालन से आजीविका संवर्धन को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर काश्तकारों को मौन पालन से स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भर बनने के लिए ग्रामीण काश्तकारों को जागरूक करने पर विशेष जोर दिया गया। कार्यशाला के मुख्य वक्ता डा.एके साहनी ने संस्थान का परिचय एवं कार्यक्रम का विवरण देते हुए कहा कि ग्रामीण परिवेश में मौन पालन से स्वरोजगार प्राप्त करने का एक विकल्प के बारे में बताया है। उन्होंने काश्तकारों को मौन पालन से स्वरोजगार के रुप में अपनाने से आजीविका संवर्धन की सम्भावना पर विस्तार से चर्चा की है। संस्थान के वैज्ञानिक व भारतीय राष्ट्रीय युवा विज्ञान अकादमी के सदस्य डा.अरुण कुमार जुगराण ने स्थानीय काश्तकारों को मौन पालन के गुर सिखाते हुए वर्तमान परिपेक्ष्य में मौन पालन को स्वरोजगार के रुप में अपनाने का आह्वान किया है। प्रगतिशील काश्तकार हयात सिंह राणा ने कृषकों को कृषि कार्य के साथ साथ मधुमख्खी पालन अपनाने पर जोर दिया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ग्राम प्रधान रणजीत रावत ने अतिथियों का स्वागत एवं आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम में वैज्ञानिकों द्वारा मौन पालन पर दी गयी जानकारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि किसानों को आजीविका संवर्धन के लिए बढ़ चढ़कर मौन पालन करना चाहिए।
संस्थान के शोधार्थी आशीष ने प्रोजेक्टर के माध्यम से काश्तकारों को मौन पालन करने की विस्तार जानकारी दी है। इस अवसर पर वरिष्ठ प्रशिक्षक सुरेश कपरवाण व जीत सिंह बिष्ट ने मधुमख्खी बाक्स के जरिए मौन पालन करने की जानकारी दी है। कार्यक्रम में पूर्व प्रधान शशी देवी,धूम सिंह रावत,अनिल रावत,सूरत सिंह,धर्म सिंह,भरत सिंह आदि मौजूद थे।