protect forests: पौड़ी। चंडी प्रसाद भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र, चिपको आंदोलन की मातृ संस्था दशोली ग्राम स्वराज्य मंडल और समलौंण संस्था के तत्वावधान में पश्चमी नयार घाटी के गांवों में जंगलों को आग से बचाने के लिए चलाए जा रहे अभियान के दौरान जाख, मरखोला, सिमडी बांजकोट, कोटी और पैलार आदि गांवों के ग्रामीणों के साथ चर्चा- परिचर्चा की गई। जागरूकता और अध्य्यन यात्रा के दूसरे दिन कोटि गांव मे आयोजित गोष्ठी में समलौंण आंदोलन की संयोजिका कौशल्या देवी ने बताया कि इस क्षेत्र के सभी गांव नयार नदी के जलग्रहण क्षेत्र के तहत आते है। दुधातोली के जंगलों के साथ ही इस क्षेत्र के सदाबहार जंगल भी नयार को सदानीरा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। यदि हमारे इन जंगलो में ऐसे ही हर साल आग लगती रहेगी तो वो दिन दूर नही होगा जब हमारे ही सामने नयार दम तोड़ती हुई नजर आएगी। इसलिए भविष्य में हमारे समक्ष ऐसा संकट न आए इसके लिए हमें अभी से अपने जंगलो को आग से बचाने के लिये जुटना होगा। जिला पंचायत सदस्य प्रिंयका देवी ने महिलाओं को ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसी का दुष्परिणाम है कि कभी पौष मास के इन दिनों में बर्फ से ढकी रहने वाली हमारे पहाडों की चोटियां आज सूखी हुई हैं यह चिंतनीय है। हम अपने पर्यावरण और जंगलों को सुरक्षित रखकर ही ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों से निपट सकते हैं।
पैलार गांव में गोष्ठी के बाद महिलाओं ने अपने सामुदायिक जंगल में जाकर अपने जंगल को आग से बचाने की शपथ ली। इस दौरान अभियान दल के सदस्य बचन सिंह रावत द्वारा समलौंण की सेना नायिका को सम्मानित भी किया गया। यात्रा में चंडीप्रसाद भटट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट, बचन सिंह रावत, मंगला कोठियाल, विनय सेमवाल, समलोंण संस्था के संस्थापक वीरेंद्र दत्त गोदियाल, मनोज रौथाण, वन दरोगा अनिल कुमार, रिटा सूबेदार मंजीत सिंह, दिनेश चंद्र खर्कवाल आदि शामिल रहे।