Home उत्तरप्रदेश सुप्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय बांसुरी वादक प्रवीण गोडखिंडी ने सजाई “विरासत की महफिल”

सुप्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय बांसुरी वादक प्रवीण गोडखिंडी ने सजाई “विरासत की महफिल”

Renowned Indian classical flute player Praveen Godkhindi organised a Virasat Ki Mehfil

दर्शकों/श्रोताओं को पंडित प्रवीण गोडखिंडी द्वारा मंत्रमुग्ध कर देने वाली बांसुरी वादन का आनंद मिला, प्रवीणजी ने राग वाचस्पति से अपनी प्रस्तुति शुरू की। जिसमें सुमित मिश्रा ने तबले पर संगत की। मनमोहक, मधुर प्रस्तुति की शुरुआत भावपूर्ण गायकी अंग से हुई I आनंदित कर देने वाली इस संध्या में जैसे-जैसे संगीत कार्यक्रम आगे बढ़ा वैसे वैसे पंडित गोडखिंडी ने तंत्रकारी अंग में प्रवेश करते गए, जिसमें उन्होंने असाधारण तकनीकी प्रतिभा, जटिल लयबद्ध विविधताओं और वाद्य पर अपनी अद्भुत पकड़ का प्रदर्शन किया। प्रस्तुति का समापन पहाड़ी धुन के एक हृदयस्पर्शी गायन के साथ हुआ, जिसे सोशल मीडिया के माध्यम से उनसे संपर्क करने वाले प्रशंसकों की तीव्र मांग पर प्रस्तुत किया गया था।

देश और विदेशों में अपने बांसुरी वादन से जगह-जगह ख्याति प्राप्त कर चुके प्रवीण गोडखिंडी का नाम शास्त्रीय संगीत की दुनिया में बहुत ही अधिक मशहूरियत प्राप्त किए हुए हैं I वे भारतीय शास्त्रीय हिंदुस्तानी बांसुरी वादक हैं। उन्होंने तंत्रकारी और गायकी दोनों ही बांसुरी शैलियों में महारथ हासिल की है। आकाशवाणी द्वारा उन्हें हिंदुस्तानी बांसुरी में सर्वोच्च स्थान देकर नवाजा जा चुका है।

उन्होंने कम उम्र में ही छोटी बांसुरी बजाना शुरू कर दिया था और 6 साल की उम्र में अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था । उन्होंने गुरु पंडित वेंकटेश गोडखिंडी और विद्वान अनूर अनंत कृष्ण शर्मा के कुशल मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, डॉ. बालमुरली कृष्ण, पंडित विश्व मोहन भट्ट, डॉ. कादरी गोपालनाथ और कई प्रतिष्ठित संगीतकारों के साथ प्रस्तुति दी है। यही नहीं,उन्होंने अर्जेंटीना के मेंडोज़ा में विश्व बांसुरी महोत्सव में बांसुरी का प्रतिनिधित्व किया है और उन्हें
बेरू और विमुक्ति फिल्मों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिए गए हैं।

उन्हें सुरमणि, नाद-निधि, सुर सम्राट, कलाप्रवीण, आर्यभट्ट, आस्थाना संगीत विद्वान की उपाधियों से सम्मानित किया गया है। वह टीवी पर संगीतमय मनोरंजक कार्यक्रमों के संगीतकार और निर्माता हैं। उन्होंने उस समय बांसुरी को मुख्य वाद्य यंत्र के रूप में इस्तेमाल करने की पूरी कोशिश की, जब गायन को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता था। उन्होंने संगीत की विभिन्न शैलियों में काम किया है, लेकिन व्यावसायिक रिकॉर्डिंग के लिए शास्त्रीय संगीत को कभी नज़रअंदाज़ नहीं किया।