रुद्रप्रयाग। पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने कहा है कि आपदा कब आ जाए इसको रोका तो नहीं जा सकता है, किंतु इसके प्रभाव को कम करने के लिए सार्थक प्रयास किए जा सकते हैं। हम आज भी वर्ष 2013 की आपदा से कुछ नहीं सीख पाए हैं। यहां तक कि केदारघाटी में एक मजबूत संचार तंत्र तक विकसित नहीं कर सके हैं। जिससे आपदा के वक्त हर कोई मुश्किलों में है। शनिवार को रुद्रप्रयाग पहुंचे पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने पत्रकार वार्ता में कहा कि यहां की संवेदनशीलता को देखते हुए ठोस और कुशल आपदा प्रबंधन टीमों को गौरीकुंड, सोनप्रयाग, केदारनाथ और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तैनात किया जाए। यह टीमें स्थानीय भौगोलिक परिस्थिति का पूरा ज्ञान रखती हो जिससे ऐसे नाजुक क्षणों में यह टीमें सबकी मददगार बने। वह इसकी मांग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से करते है। कहा कि इस आपदा में काफी जनहानि हुई है। हमने काफी लोगों को खो दिया है। बावजूद सरकार और प्रशासन सब कुछ छुपाना चाह रही है। ऐसा माहौल तैयार किया गया है जैसे कुछ हुआ ही न हो। अभी जो भी पहुंचा है वह, सोनप्रयाग, गौरीकुंड और केदारनाथ तक ही गया है। किंतु बीच रास्ते में जहां घटना हुई इस क्षेत्र में तो कोई नहीं पहुंचा है। कई स्थानीय लोग अपनों की खोज खबर कर रहे हैं। घटना का आज चौथा दिन हो गया है बावजदू संचार व्यवस्था ध्वस्त है।