उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता परिवर्तन की रवायत को तोड़ते हुए बड़ी जीत दर्ज की है। बीजेपी ने राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से 47 सीटों पर जीत दर्ज की तो कांग्रेस 19 सीटें ही जीत पाई जबकि बसपा ने दो सीट और दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली।
इस चुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार हरीश रावत चुनाव हार गए। खटीमा में धामी को कांग्रेस के उम्मीदवार भुवन कापड़ी ने 6,579 वोट से हराया।
धामी की हार के बाद अब सबके मन में सवाल ये है कि आखिर उत्तराखंड में बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी किसे मिलेगी ? बीजेपी अब किन किन विकल्पों पर विचार करती है या कर सकती है,यह जानना बेहद जरूरी है।
बीजेपी को प्रचंड उत्तराखंड में बड़ा बहुमत मिला है, इसलिए भले ही चुनाव हार गए हो लेकिन पार्टी पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना सकती है। छह महीने के भीतर किसी विधायक से सीट को खाली कराकर धामी को उपचुनाव लड़ाकर विधानसभा भेजा जा सकता है। क्योंकि इस कार्य के लिए छह महीने का समय होगा इसलिए पार्टी को कोई दिक्क्त नहीं होगी।
विधायकों में से किसी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इनमें स्वास्थ्य मंत्री धनसिंह रावत,कोटद्वार से चुनाव जीती पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी पर दांव लगाया जा सकता है। धनसिंह संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं और संगठन व सरकार में काम करने का अनुभव भी है। पार्टी यदि ब्राहमण चेहरे को केंद्र में रखती है तो ऋतु खंडूड़ी की किस्मत खुल सकती है और बीसी खंडूड़ी की साफ सुथरी छवि का फायदा भी पार्टी को मिल सकता है। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी विकल्प हो सकते हैं क्योंकि उनकी अगुवाई में पार्टी ने बड़ा बहुमत पाया है। इसके अलावा मंत्री सतपाल महाराज भी एक बड़े विकल्प के रूप में सामने हैं। कई विधायक चौथी पांचवीं बार जीतकर आए हैं उन्हें भी मौका मिल सकता है।
बीजेपी अपने सांसदों में से किसी को मौका दे सकती है। उनमें सबसे ऊपर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का नाम है। वह नैनीताल से सांसद हैं। दूसरा नाम हरिद्वार से लोकसभा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का है। निशंक को भी मुख्यमंत्री बना सकती है। लेकिन इन दोनों को बनाने से दो-दो उप चुनाव कराने होंगे,एक उपचुनाव इन्हें विधायक बनाने का होगा और दूसरा इनके द्वारा खाली की गई लोकसभा सीट पर कराना होगा। इसके अतिरिक्त राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी भी एक विकल्प हो सकते हैं। बलूनी को सीएम बनाने पर पार्टी को लोकसभा का उपचुनाव नहीं कराना पड़ेगा।