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माया देवी विश्वविद्यालय ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का किया \आयोजन

Maya Devi University organized a national conference on 'National Education Policy'
Maya Devi University organized a national conference on 'National Education Policy'

2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में उठाया महत्वपूर्ण कदम 

माया देवी विश्वविद्यालय ने “राष्ट्रीय शिक्षा नीति: 2047 तक विकसित राष्ट्र की ओर भारत” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस सम्मेलन में शिक्षाविदों, शिक्षकों और शोध छात्र और छात्राओं ने भाग लिया और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के दृष्टिकोण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की परिवर्तनकारी भूमिका पर चर्चा की।
सम्मेलन का प्रारम्भ लोकसभा सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत, विश्वविद्यालय के अध्यक्ष मनोहर लाल जुयाल, उपाध्यक्ष डा. तृप्ति जुयाल सेमवाल एवं प्रो वाइस चांसलर डॉ. मनीष पांडे द्वारा दीप प्रज्वलन कर के किया गया। विशिष्ट अतिथियों में सेवानिवृत्त प्रोफेसर, आईआईटी रूड़की, डॉ. अशोक कुमार आहुजा,
ग्लोबल रिसर्च फाउंडेशन के उपाध्यक्ष, प्रो. एस.पी. काला, एफआरआई के वैज्ञानिक, डॉ. एम एस भण्डारी और राजकीय पीजी महाविद्यालय डाकपत्थर के सहायक प्रोफेसर, डॉ. राजेन्द्र बडोनी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से जहाँ सम्मलेन की शोभा बढ़ाई वहीं दूसरी ओर शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए अपने अमूल्य योगदान और अनुभवों को साझा कर सभी छात्र- छात्राओं का उचित मार्ग दर्शन भी किया।
माया देवी विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर डॉ. मनीष पांडे ने सभी गणमान्य अतिथियों और प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए अपने स्वागत अभिभाषण में कहा कि आज इस एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में आप सबकी उपस्थिति मेरे लिए अत्यंत सम्मान की बात है। मैं हमारे मुख्य अतिथियों, प्रतिष्ठित वक्ताओं, पैनलिस्टों, समस्त संकाय सदस्यों, रिसर्च स्कॉलर्स और सभी प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ, जो इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचारों और अनुभव को साझा करने के लिए हमारे साथ जुड़े हैं।
समारोह के मुख्य अतिथि त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि “राष्ट्रीय शिक्षा नीति: 2047 तक विकसित राष्ट्र की ओर भारत” विषय पर आयोजित यह सम्मेलन अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैसा कि हम जानते हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक सुधार है, जो हमारी शिक्षा प्रणाली को एक नए आयाम में ले जाने की दिशा में कार्य करेगा। यह केवल एक नीति नहीं है, बल्कि एक सपना है, जो भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेगा और माया देवी विश्वविद्यालय का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है।
राष्ट्रीय सम्मेलन में दिन भर विभिन्न विशेषज्ञ पैनल चर्चाओं का आयोजन किया गया, जिनमें पाठ्यक्रम सुधार, कौशल विकास, डिजिटल शिक्षा और शिक्षा के आधुनिकीकरण में प्रौद्योगिकी की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। सम्मलेन के प्रथम चरण में प्रतिष्ठित वक्ताओं, जिनमें डॉ. अशोक कुमार आहूजा ने जहाँ एक ओर नई राष्ट्रिय शिक्षा निति की महत्ता पर बहुत ही सूचनात्मक व्याख्यान दिया।
वहीँ जाने माने शिक्षाविद प्रोफेसर एस.पी. काला ने आज के समय में “सम्पूर्ण गुणवत्तापूर्ण शिक्षण” को लेकर आ रही चुनौतियों और संभावनाओं पर बात की। प्रो काला का यह व्याख्यान सभी को ज़मीनी वास्तविक्ता से जोड़े रखने में काफी हद तक कामयाब रहा।
इसके बाद कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र में उद्यमिता एवं औद्योगिक जागरूकता जैसे बहुत ही महत्त्वपूर्ण विषय पर डॉ. एम.एस. भंडारी ने अपने विचार व्यक्त किये। एक और अन्य मुख्य वक्ता डॉ. राजेंद्र बडोनी ने नई शिक्षा निति को लेकर विस्तार में चर्चा की और एक बहुत ही ज्ञानवर्धक वाचन के माध्यम से बताया कि एनईपी कैसे भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत कर सकता है और 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए अगली पीढ़ी के विद्यार्थियों को तैयार कर सकता है।
सम्मेलन के दूसरे चरण में विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने नई शिक्षा नीति से जुड़े अलग – अलग विषयों पर व्याख्यान दिए।
इंजीनियरिंग संकाय के प्रोफेसर डॉ. ए.एन. शंकर ने उच्च शिक्षा में नई शिक्षा नीति 2020 पर चर्चा की तो शिक्षा संकाय की प्रधानाचार्या डॉ. सीता जुयाल ने शिक्षा के क्षेत्र में सभी विद्यार्थियों के लिए एक समान अवसर जैसे मुद्दे को बखूबी उठाया। प्रबंधन संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजय चौरसिया ने भी उच्च शिक्षा व्यवस्था में नई शिक्षा नीति 2020 से आने वाले बदलावों पर चर्चा की। प्रोफेसर डॉ. वर्षा उपाध्याय ने नई शिक्षा नीति में विज्ञान की भूमिका पर बात की। कृषि संकाय से. डॉ. प्रियंका प्रसाद ने नई शिक्ष नीति में सी.आर.आई.एस. पी. आर – सीएएस9, में र्आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस टूल्स का उपयोग और भूमिका विषय पर बात की। फार्मेसी संकाय से असिस्टेंट प्रोफेसर सुश्री हीना ने भी नई शिक्षा नीति, 2020 में उच्च शिक्षा पर अपने विचार रखे।
सम्मेलन में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य से एनईपी के जुड़ाव पर भी जोर दिया गया। प्रतिभागियों ने संवादात्मक सत्रों में भाग लिया और एनईपी के माध्यम से शिक्षा प्रणाली में पहुँच, समावेशिता और समानता के मुद्दों को संबोधित करने की संभावनाओं का पता लगाया। सम्मेलन में विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर्स विभिन्न विषयों पर पेपर प्रेजेंटेशन और पोस्टर प्रेजेंटेशन जैसी ज्ञानवर्धक एक्टिविटीज के माध्यम से ये बताया कि शोध के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
सफलता के चरम पर पहुंचे इस सम्मलेन का समापन माया देवी विश्वविद्यालय की डीन डॉ. शिवानी जग्गी ने सभी मुख्य अतिथियों , गणमान्य व्यक्तियों, शिक्षकगणों, छात्र-छात्राओं और तकनिकी टीम को धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि यह सम्मलेन आप लोगों की मौजूदगी और प्रतिभागिता की वजह से सफल रहा, जिसमें सार्थक संवाद हुआ और भारत के शैक्षणिक संस्थानों में एनईपी के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए भविष्य में सहयोग के नए रास्ते खुल गए हंए ।