ऋषिकेश। वैदिक ब्राह्मण सभा ऋषिकेश के एक दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में संस्कृत के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया गया। पूर्व संस्कृत शिक्षा निदेशक शिव प्रसाद खाली ने कहा कि संस्कृत भाषा का उत्थान और विकास देशहित में जरूरी है। उन्होंने संस्कृत की रक्षा के लिये लोगों में जागरूकता पर जोर दिया। गुरुवार को जयराम आश्रम में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में केशव स्परूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि संस्कृत की रक्षा हम सभी का कर्तव्य है। इसका प्रचार-प्रसार लगभग 13 देशों में चल रहा है। इसलिये हमारा समर्पण समाज के लिये हो, जिससे समाज में संस्कृत के प्रति जागरूकता आये। नई पीढ़ी अपने जीवन में संस्कृत भाषा से परिचित हो, इसके लिये सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। निवर्तमान मेयर अनिता ममगाईं ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि एक संस्कृति है, जिसे संजोने की जरूरत है। विरक्त वैष्णव मंडल के अध्यक्ष महामंडलेश्वर दयाराम दास ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि के साथ शास्त्रों एवं पुराणों की जननी भी है। इसलिए उत्तराखंड के ब्राह्मणों का यह दायित्व भी है की संस्कृति के साथ संस्कृत का भी संरक्षण और संवर्धन करे, ताकि शास्त्र रक्षा भी सतत होती रहे। डॉ. जनार्दन कैरवान ने कहा आज समाज में शास्त्रों के ज्ञान को तोड़-मरोड़ कर विभिन्न मंचों से परोसा जा रहा है जो कि समाज के लिए उचित नहीं है। इस अवसर पर कांग्रेस नेता जयेन्द्र रमोला, डॉ. अनिल कुमार शुक्ला, मदनमोहन शर्मा, रवि शास्त्री, ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष मणिराम पैन्यूली, महामंत्री महेश चमोली, कोषाध्यक्ष शिव सेमवाल, उपाध्यक्ष शिव प्रसाद नौटियाल, आचार्य मायाराम,जगमोहन मिश्रा,जयराम संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य विजय जुगलान,नवीन भट्ट, डा दयाकृष्ण लेखक,विनायक भट्ट,शान्ति मैठाणी, हर्षानंद उनियाल,विपिन बहुगुणा,रूपेश जोशी,मनोज चमोली,गिरीश कोठियाल, मयंक चमोली, देवेंद्र उनियाल,भानु प्रकाश उनियाल, सूर्य प्रकाश रतूड़ी, राजेश बहुगुणा, प्रकाश सेमवाल, रामकृष्ण कोठियाल,नरेंद्र सकलानी, सूरज बिजलवान, पुरुषोत्तम कोठरी, ज्योति प्रकाश, राकेश बहुगुणा, मोहित भटट, विवेक चमोली, चिंतामणि केमनी, नागेंद्र भद्री, उमादत्त अंथवाल, मोहन भट्ट, हर्षमणि नौटियाल, जगदीश जोशी, सुनील थपलियाल, रमा वल्लभ भट्ट, आशाराम व्यास, जयकृष्ण अंथवाल, सोमनाथ नौटियाल, सुरेश भट्ट आदि उपस्थित रहे।